...

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मन्नत का धागा
तेरी बातें समझते भी हैं
और तुझे परखते भी हैं

कभी तुझसे उलझते भी है
कभी तुझ संग हँसते भी हैं

है अपना तू अजनबी नहीं
तेरे सिवा कोई साथी नहीं

हँसते मुस्कराते सवेरे से तुम
हसीन रौशनी सुबह की हम

इक कल्प वृक्ष से पावन तुम
उस पर मन्नत का धागा हम
NOOR EY ISHAL

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