अनसुनी ख्वाएश।
अलहदा राहो पर,चल ही रहे हो,
फजा ओ का रुख ,मोड भी रहे हो।
इस दिल से भी अब दूर ,जा ही रहे हो।
यादो में भी धुंधला रहे हो।
आखें भी कहा रही मुन्ताझिर।
लज्जत-ए -गिरिया में,मेहरुम हम,
अपनी...
फजा ओ का रुख ,मोड भी रहे हो।
इस दिल से भी अब दूर ,जा ही रहे हो।
यादो में भी धुंधला रहे हो।
आखें भी कहा रही मुन्ताझिर।
लज्जत-ए -गिरिया में,मेहरुम हम,
अपनी...