नहीं मिलता..!
फिर डूब जाना मिरी इक बात सुन लो पहले
दरिया-ए-इश्क़ में कभी किनारा नहीं मिलता
आँखों में उतर आती है इज़हार की सूरत
जिस शख़्स को लफ़्जों का सहारा नहीं मिलता
ना-मुमकिन है तेरे बग़ैर पलट कर जाना
अब आगे बढ़ने का भी मगर हौंसला नहीं मिलता
हज़ार लोग मिलते हैं ज़माने...
दरिया-ए-इश्क़ में कभी किनारा नहीं मिलता
आँखों में उतर आती है इज़हार की सूरत
जिस शख़्स को लफ़्जों का सहारा नहीं मिलता
ना-मुमकिन है तेरे बग़ैर पलट कर जाना
अब आगे बढ़ने का भी मगर हौंसला नहीं मिलता
हज़ार लोग मिलते हैं ज़माने...