...

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एहसास
हर दर्द की कोई किमत नही होती l
किसी खास की आहट से वजह नासिब नही होती l
ए बिखरी हुई उलझन
सुना कर दिल की कभी कभी धडकन
हर झूठ की कशिश इश्तिहार नही होती
किसी बेईमान की इमानदारी ऐतबार नही होती ll1ll

हर बात होठो की जुबां पर लाई नही जाती
पर्वरीश की अच्छाई कभी बताई नही जाती l
ऐ नमी हुई अखियों
ये जुल्म नं सहा कर
हर धोके कीं कभी उम्मीद नही होती
किसी अजनबी कीं मुलकात बेकार नही होती... ll2ll

हर मिठास का मतलब यारी नही होती
सच न होता गर माँ सबको प्यारी न होती l
चुडिया तो बिकती है बाजार में सस्ती
पेहने तो कमजोर, वर्ना मीटाती है हस्तीं...
हर दर्द कीं कोई किमत नही होती
किसी खास कीं आहट से वजह नासिब नही होती ll3ll

......... शालिनी. दि. सोमकुंवर.....