...

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ग़ज़ल
2122 2122 2122 212

वो मुलाक़ाते हमारी आखिरी हँसना मेरा,
अब लगें है रोज़ खुद को हो रहा डँसना मेरा।

चालबाज़ी वो करेगा बात ही बेकार है,
सादगी थी वो वजह के फिर हुआ फँसना मेरा।

बस...