...

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। मैं अपनी ही दुनिया में खोने लगी हूं।
कभी भीड़ में अकेले होने का एहसास किया है,
लोगो से दूर रहकर आनंद का आभास हुआ है।
किसी से बात करने से अच्छा,फोन कॉल्स को इग्नोर करना शुरू कर दिया है ,
तो समझ जाओ की तुमने भी अपनी दुनिया को बहुत छोटे दायरे में समेट लिया है।।
क्या अब तुम्हे भी दोस्त बनाने से डर लगने लगा है, और
किताब और गाने ही अब तुम्हारे सुख दुख के साथी बन गए है।
क्या तुम्हे भी अब अजन्बी से बात करना अपनो से बात करने से ज्यादा अच्छा लगने लगा है,
और
अपनी कमियां तुम्हे अब अपनी अच्छाइयों से ज्यादा लगने लगी है,
तो समझ जाओ तुम्हारी भी दुनिया अजीब सी होने लगी है।।
अगर तुम किसी के सामने खुद की कीमत खोने लगे हो,
संभल जाओ वक्त है अभी क्योंकि खो गए अगर इन बेजुबान गलियों मे तो मेरी ये बात याद रखना,
सलाह लाखो लोग देते है लेकिन खोने के बाद ढूंढने का कष्ट कोई नहीं उठाएगा ।।


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