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कुछ यादें वं बातें पिता जी की

© pinka
कुछ यादें वं बातें पिता जी -
वो डैडी है मेरे इस बात पर मुझे अभिमान है,
मैं एक हिस्सा जिन्दा हूं उनका अब यही मेरी पहचान है।
हमारी खातिर खूब कमाया और दिया बहुत बलिदान है,
कम पढ़े पर मेहनत की,और जो हैसियत पाई, देखकर उसे सब लोग हैरान हैं।
अक्सर कहते भी थे हमसे, कि तुम ही खुशियाँ मेरी तुमसे ही मेरा जहान है।
ईमानदारी,दया भाव और प्यार का सागर महान है,
अगर हो यह सब झूठ तो इसमें मेरा नुकसान है, क्योंकि हर बात का गवाह तो खुद नीले आसमान वाला वह भगवान है,
नीले आसमान वाला वह भगवान है।
जो कहते थे भाई हैं हम और अंदर से थे स्वार्थी, कहां गए वह इंसान?
हर चेहरे के पीछे, अब पता चला है छुपा एक बेईमान है।

अब भगवान से संबंधित-

क्या तुझे नहीं दिखे वह रोते -बिलखते,तड़पते बच्चे-परिवार,
क्यों इस दुख से तू अनजान हैं।
जिस पिता की बस्ती थी अपने बच्चों में जान,
तू ले गया उसे उस पिता के बिना जीना कितना कठिन है काम।
यह तेरी विधि का कैसा हैंविधान,
जन्म तो घर में होता है,पर मरने के बाद मिलता क्यों हैं शमशान।
आकर देख तू जरा, कि आकर देख तू जरा,
तेरा उजड़ा हुआ घर,
उस पिता के बिना कितना बेजान और हमारी दुनिया कितनी सुनसान है।
कि जब ऊपर हम आएंगे,कि जब ऊपर हम आएंगे,
तब पूछेंगे तुझसे बनाकर मिटाना ही क्यों तेरा सविधान है।
उन्हें देखकर तेरी रूह नहीं कापंती,
जिनका लेकर जाता तू इंसान हैं,
लेंगे हर हिसाब,
चलाना तेरे खिलाफ यह अभियान हैं।
वह डैडी है मेरे इस बात पर मुझे अभिमान है,वो सच मे इतने अधिक,मेरी नजरों मे महान है।
आखिरी कुछ शब्द-
कुछ चेहरे कभी बूढ़े नहीं हो पाते,
फिर भी चलना पड़ता है अकेलें,
क्योंकि समय बड़ा बलवान है,
इससे अलग अब दिखता नहीं कोई समाधान है।