इश्क़ और लम्हें
लम्हों के नाम पर हमारे पास बस वो एक इश्क़ ही था,
और उस लम्हें में भी मैं तन्हा था।
हर तारीख़ में उस इश्क़ का जिक्र था,
किसी ज़िक्र में वो तारीखें नहीं थी।
यूं तो कई सवेरे देखे थे उस मोहब्बत ने,
लेकिन वो सवेरे सिर्फ सुर्ख...
और उस लम्हें में भी मैं तन्हा था।
हर तारीख़ में उस इश्क़ का जिक्र था,
किसी ज़िक्र में वो तारीखें नहीं थी।
यूं तो कई सवेरे देखे थे उस मोहब्बत ने,
लेकिन वो सवेरे सिर्फ सुर्ख...