उम्मीदें
कभी नम होती तो कभी खुश्क होती आंखे
कभी सोज-ए-दिल तो कभी मुस्कराता दिल
ये मुसल्सल चलता हुआ जिंदगी का कारवां
हर मोड़ पर ख्वाहिशों का इम्तिहान लेती
मुझमें कुछ जान अब भी बाक़ी है
वस्ल-ए- मोहब्बत की उम्मींद बाक़ी है
© Nitin Singh
कभी सोज-ए-दिल तो कभी मुस्कराता दिल
ये मुसल्सल चलता हुआ जिंदगी का कारवां
हर मोड़ पर ख्वाहिशों का इम्तिहान लेती
मुझमें कुछ जान अब भी बाक़ी है
वस्ल-ए- मोहब्बत की उम्मींद बाक़ी है
© Nitin Singh
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