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जीवन चक्र
#जीवनकीसाँस

एक अराजक जीवन अंत की ओर बढ़ती रही
निश्वास शांतचित्त मन भी चिता की ओर चढ़ती रही
शनै शनै जीवन चक्र अविरत बढ़े रहेे निरंतर
पूरी कर इस जन्म की परिक्रमा पुनः आकर
शिशु का रूदन यौवन का क्रंदन पाकर
वही अधेड़ की कराह वृद्धावस्था का भय
अंत समय के निकट पुनः मन में तर मय
क्लांत मन से शांति की ओर दृढ़ जीव
स्थिरता ढूंढे संसार जल खेते बनाए है नींव
© Prachi Sharma