एक जमाना था......
बीते गया एक जमाना हम दोनों को मिले हुए।
हम भी थे कभी किसी चमन के दो फुल खिले हुए। फिर कभी न वो चांद आया न वो रात आयी,न वो सुबह न वो शाम आती।
वो चेहरा तो कभी नजर न आया मगर सर्दियों के बाद आज वो आया।
मुहब्बत के राहों पे चलने वाले वे राहगीर गुजर गए।
गुल्सिता तो उजड़ा ही,बसेरा भी उजड़ गया।
दिल की दुनिया लुटी,रस्म रिश्ते पुट गए, और तमन्ना भी उजड़ गई।
हम यह गए मगर आंखों के सामने से एक जमाना गुजर गया।
ये दिल करता जाने कि शायद दुनिया में दिल लगाने का यही अंजाम होता है।
सोचता यही हूं कि दुनिया के दिल में भी हम दोनों की यादगार होती।
मेरे मरने के बाद कर्बिस्तान में सबसे ऊंची मजार होती।
जाते वक्त में कह देता हूं कि ये जिंदगी एक इत्तफाक की है।
में जो ये लिखते जा रहा हूं वो कहानी एक रात की है।।
@supriya singh
© All Rights Reserved
हम भी थे कभी किसी चमन के दो फुल खिले हुए। फिर कभी न वो चांद आया न वो रात आयी,न वो सुबह न वो शाम आती।
वो चेहरा तो कभी नजर न आया मगर सर्दियों के बाद आज वो आया।
मुहब्बत के राहों पे चलने वाले वे राहगीर गुजर गए।
गुल्सिता तो उजड़ा ही,बसेरा भी उजड़ गया।
दिल की दुनिया लुटी,रस्म रिश्ते पुट गए, और तमन्ना भी उजड़ गई।
हम यह गए मगर आंखों के सामने से एक जमाना गुजर गया।
ये दिल करता जाने कि शायद दुनिया में दिल लगाने का यही अंजाम होता है।
सोचता यही हूं कि दुनिया के दिल में भी हम दोनों की यादगार होती।
मेरे मरने के बाद कर्बिस्तान में सबसे ऊंची मजार होती।
जाते वक्त में कह देता हूं कि ये जिंदगी एक इत्तफाक की है।
में जो ये लिखते जा रहा हूं वो कहानी एक रात की है।।
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