...

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एक जमाना था......
बीते गया एक जमाना हम दोनों को मिले हुए।
हम भी थे कभी किसी चमन के दो फुल खिले हुए। फिर कभी न वो चांद आया न वो रात आयी,न वो सुबह न वो शाम आती।
वो चेहरा तो कभी नजर न आया मगर सर्दियों के बाद आज वो आया।
मुहब्बत के राहों पे चलने वाले वे राहगीर गुजर गए।
गुल्सिता तो उजड़ा ही,बसेरा भी उजड़...