...

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रेप
एक दास्तां ने मुझे
ये लिखने पर मजबूर कर दिया,
कैसे एक हैवान ने
उस खुद से ही बहुत ज्यादे दूर कर दिया ।
आज वो भी खुशी से खेलती
सबके हाथों में हाथ डालकर वो भी खुशी से झूमती,
पर शायद ये सब नहीं था ज़िन्दगी में
तभी तो उसके जीवन को किसी ने,
डर का डरावना संसार कर दिया ।
गुजराती कुछ लम्हें
वो भी अपनो के साथ में
और यादें भी बनाती सबके साथ,
वो भी कर लेती किसी पर भी विश्वास
अगर ना करता कोई उसकी इज्जत से खिलवाड़ ।
हर वक़्त डर के साए में रहती हैं ये
और एक अंजान खतरे का एहसास ये करती हैं,
ज़िन्दगी तो गुजार लेती हैं ये जैसे तैसे
पर वो विश्वास कहां किसी पर कर पाती हैं। ...