...

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चुप्पी
चुप्पी थी होठों पे
जब हज़ारों इल्जाम लगाए गए
भरी महफ़िल में
हम बुरे पाए गए
लेकिन वक्त की पंचायत में
सभी अजमाए गए

उन्हें लगा दोषी बना हमें अकेले छोड़ देंगे
वक्त साथ हुआ तो सभी सूद समेत मोड़ देंगे
कहतें है उड़ती चिड़िया के पंख गिन लेते हैं
एक दिन ये भी घमंड तोड़ देंगे

वक्त अजमाए और अजमाए भगवान
दूसरा कोई बस निकाले काम
महंगी पड़ती हैं कभी खुशियां
जब मुसीबत की गलियों में जाना हो आम

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