...

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गुल्लक
जमा कर रखी हैं यादें माटी की इक गुल्लक में
चवन्नी अट्ठन्नी सी यादों से भरी है मेरी इक गुल्लक
बच्पन की परियों ,
गुड्डे गुड्डीयों के शामियाने
चाँद में बुढ़िया
बारिश वाली नाव की इबारतें
रफ नोट बुक के जहाजों से आसमान की अदावतें
बोतलों में बंद जुगनू की जगमगाहटें
कितना कुछ जमा है इस चवन्नी अट्ठन्नी वाली गुल्लक में
सोचता हूँ फोड़ कर इसको
फिर एक बार जी आऊं उन दिनों की बहार
फिर धीरे से रुख़सत हो जाऊं यार
© @vi