मोहब्बत
मैं कितनी मोहब्बत लुटाऊंँ तुम पर
सीखा कहांँ से तुम ने गरम मिजाज़ रखना
जितना चाहूंँ रहना ,अब मैं संग तेरे
आया कहांँ से तुमको यूंँ दूरदराज़ रखना
करले मस्त मलंगियां तू चाहे मन...
सीखा कहांँ से तुम ने गरम मिजाज़ रखना
जितना चाहूंँ रहना ,अब मैं संग तेरे
आया कहांँ से तुमको यूंँ दूरदराज़ रखना
करले मस्त मलंगियां तू चाहे मन...