Happy poetry day✍️✍️
मैं कविता हूँ...
अनगिनत हृदयों से निकला स्वर हूँ मैं...
समस्त भावनाओं का घर हूँ मैं...
कभी घनानंद की विरह हूँ ;
कहीं मीरा सी प्रतीक्षा...
कभी राधा के अश्रु हूँ ;
प्रेम , विरह से डूबी मैं...
मैं हीं...
अनगिनत हृदयों से निकला स्वर हूँ मैं...
समस्त भावनाओं का घर हूँ मैं...
कभी घनानंद की विरह हूँ ;
कहीं मीरा सी प्रतीक्षा...
कभी राधा के अश्रु हूँ ;
प्रेम , विरह से डूबी मैं...
मैं हीं...