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Happy poetry day✍️✍️
मैं कविता हूँ...
अनगिनत हृदयों से निकला स्वर हूँ मैं...
समस्त भावनाओं का घर हूँ मैं...
कभी घनानंद की विरह हूँ ;
कहीं मीरा सी प्रतीक्षा...
कभी राधा के अश्रु हूँ ;
प्रेम , विरह से डूबी मैं...
मैं हीं रस श्रंगार हूँ...
कभी सूर का वातसल्य हूँ ;
कभी कबीर सी नीति प्रिय...
कभी तुलसी का दोहा हूँ ;
मैं छंद अलंकार हूँ...
सुभद्रा सा उत्साह है मुझमें ;
खुनी हस्ताक्षर सा राष्ट्र प्रेम...
जुर्म के खिलाफ आवाज़ हूँ मैं...
राष्ट्र की स्वतंत्रता का हूँ हथियार....
मैं कविता हूँ...
Happy poetry day✍️📝
© श्वेता श्रीवास
अनगिनत हृदयों से निकला स्वर हूँ मैं...
समस्त भावनाओं का घर हूँ मैं...
कभी घनानंद की विरह हूँ ;
कहीं मीरा सी प्रतीक्षा...
कभी राधा के अश्रु हूँ ;
प्रेम , विरह से डूबी मैं...
मैं हीं रस श्रंगार हूँ...
कभी सूर का वातसल्य हूँ ;
कभी कबीर सी नीति प्रिय...
कभी तुलसी का दोहा हूँ ;
मैं छंद अलंकार हूँ...
सुभद्रा सा उत्साह है मुझमें ;
खुनी हस्ताक्षर सा राष्ट्र प्रेम...
जुर्म के खिलाफ आवाज़ हूँ मैं...
राष्ट्र की स्वतंत्रता का हूँ हथियार....
मैं कविता हूँ...
Happy poetry day✍️📝
© श्वेता श्रीवास
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