...

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काश! वो बचपन लौट आता
स्वरचित एवं मौलिक रचना:–
काश! वो बचपन लौट आता।

वो कागज की कश्ती
वो पानी में मस्ती,
माटी के बने घरोदौं की
वो छोटी सी बस्ती।
काश! वो बचपन लौट आता।

न कोई ख्वाहिश थी
न कोई चाहत थी मन में,
हर ऋतु हरियाली छाई
रहती थी मन...