ख़ुदा की रहमत
हर तरफ नाकामी के बादल
और रिश्तों की धुंध भी गहरी थी,
इस बार चन्द क़दम दूर थी मंज़िल
मगर ख़ुदा की मसलिहत भी गहरी थी,
वक़्त...
और रिश्तों की धुंध भी गहरी थी,
इस बार चन्द क़दम दूर थी मंज़िल
मगर ख़ुदा की मसलिहत भी गहरी थी,
वक़्त...