खामोशियाँ....
जुस्तजू साँस लेने लगी है पनाह में तेरी,
घूंट भर आगाज़ करने लगी हैं राह में तेरी,
अल्फाज़ ए दिल यूं बे फ़स्ल ना बरसे थे,
एहसास फ़ानी होने लगे हैं ख़्वाह में तेरी,
कशिश-ए-'इश्क़ हो या हो बहर-ए-'इल्म,
दिल मद्दाह होकर डूब रहा है थाह में तेरी,
लज़रती निगाहें तलाशती हैं रिदा सुकूँ को,
पर चुप रहकर सहने लगी हैं जाह में तेरी,
ये लफ़्ज़ भी अब बरबस कहाँ निकलते हैं,
खामोशियाँ भी जीने लगी हैं निबाह में तेरी!
© Tarana 🎶
घूंट भर आगाज़ करने लगी हैं राह में तेरी,
अल्फाज़ ए दिल यूं बे फ़स्ल ना बरसे थे,
एहसास फ़ानी होने लगे हैं ख़्वाह में तेरी,
कशिश-ए-'इश्क़ हो या हो बहर-ए-'इल्म,
दिल मद्दाह होकर डूब रहा है थाह में तेरी,
लज़रती निगाहें तलाशती हैं रिदा सुकूँ को,
पर चुप रहकर सहने लगी हैं जाह में तेरी,
ये लफ़्ज़ भी अब बरबस कहाँ निकलते हैं,
खामोशियाँ भी जीने लगी हैं निबाह में तेरी!
© Tarana 🎶
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