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जय जय हे महिषासुर मर्दिनी
तुंग सुता हे पृथ्वी प्रिया जग भर्ता नन्दि नमन करते,
गिरवर श्रेष्ठ हे विन्ध्यनिवासिनी विष्णुविलासिनी जिष्णुनुते ।
शिव भार्या विशाल गृहिणी ऐश्वर्य का हमको तू वर दे,
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी रम्यकपर्दिनी शैल सुते।।

देव बली बनते तुझसे औ दैत्य मरे हैं हास भर से ,
हर्षित सब त्रिलोक भर्ता प्रभु शिव संतुष्ट रहें तुमसे।
दैत्य वधी हे दुर्मुनि रोषिणी तू सब पाप हरण कर ले,
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी..........।।

जगत जननि कदम्ब वन वासिनी सदा सुखी परिहास रते,
उच्च हिमालय भवन विराजे मधु कैटभ का वध करके।
मधुर स्वभाव से युक्त भवानी शिव तेरो संग रास करते,
जय जय महिषासुर मर्दिनी रम्यकपर्दिनी शैल सुते।। .....

शरणागत स्त्री या पुरुष हो उनको सदा अभय कर दे,
तीनों लोक की पीड़ा हरती शूल विनाशक है कर में।
शंख नाद से मातु भवानी दिग में मधुरिम स्वर भर दें,
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी रम्यकपर्दिनी शैल सुते।।...

हे जपनीय मंत्र की देवी तू जय का हमको वर दे,
शब्द ब्रह्म हे शब्द स्वरुपा हम जन तुम्हें नमन करते।
भाव से युक्त हे त्रिपुरसुंदरी देव वधू संग नृत्य रते,
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी रम्यकपर्दिनी शैल सुते।।...


करुणामयि कल्याणमयी हे कमल वासिनी हे कमले,
हम बालक नित करें वंदना भक्ती का हमको वर दे।
मोक्ष तेरे चरणों में माता इन चरणों में सब बसते,
जय जय हे महिषासुर मर्दिनी.......
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लेखक----- अरुण कुमार शुक्ल