...

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मस्त रहने दो उन्हें अपनी मस्ती में
मस्त रहने दो उन्हें अपनी मस्ती में,
चलो घूम आएं हम भी कुछ देर बस्ती में.
हमें देखने का भी जिनके पास वक्त नहीं है,
क्या बात करना फिर उनसे जबरदस्ती में.
लहरों के साथ चलने का मजा ही कुछ और है,
चलो बैठते हैं कुछ देर अरमानों की कश्ती में,
होती नहीं कद्र अक्सर उन अनमोल चीजों की,
जो हासिल हो जायें आसानी से और सस्ती में.
हम क्यों आंके कमतर किसी से खुद अपने को,
उतराने और डूबने दो उन्हें उनकी ही बनाई हस्ती में.