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शिक्षक और विद्यार्थी
हो चुका है इस बालक का जीवन आरंभ, अब पाएगा यह शिक्षक का संघ।
जब शिक्षक का केंद्रित होगा इस पर ध्यान ,
तब पाएगा यह मानवता का ज्ञान ।


जिओ ही बड़ा हुआ लगा संजोने छोटे छोटे सपने ,
नहीं कर पाता लक्ष्य का चयन और मुश्किल बढ़ाते रिश्तेदार और अपने।
एकदम से पता है एक राय और जीवन में प्रकाश ,
हे बालक यही है तेरे शिक्षक का रूप और तेरे जीवन का विकास ।

तू अक्सर पड़ता एकलव्य और द्रोणाचार्य की गाथा ,
फिर भी शिक्षक खोजता सम्मान परंतु अपमान ही पाता ।
मैं पूछता हूं कहां है वो एकलव्य जिसने शिक्षक को दिया इतना बड़ा दान ,
तू तो केवल अपना स्वार्थ देखता है तेरे लिए शिक्षक है चलायमान ।

तू क्यों भूल चुका है अपने नैतिक मूल्य ,
क्यों हो रहा है पतन शिक्षक और विद्यार्थी के रिश्ते का ।
क्या यही है आधुनिकता का परिणाम ,
यां मैं इसे दूं तेरे जीवन की व्यस्तता का नाम
सदैव कर अपने शिक्षक को प्रणाम।

आए दिन तू करता जा रहा है नवीनीकरण ,
परंतु रहा असफल , होता देख शिक्षक और विद्यार्थी के रिश्ते का हरण ।
अतः चाहूं तुझे यही समझाना ,
शिक्षक और विद्यार्थी का नाता है अमूल्य इसे सदैव निभाना ।

सहजपाल सिंह की तरफ से रंजना मैम को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।



© Sahajpal Singh