मुस्करा कर मिलों
पास आओ कभी मुस्करा कर मिलों।
अपनी बाँहों के घेरे बढ़ा कर मिलों।
धीरे धीरे कुमुदिनी खिल उठी बाग में,
तुम ऐसे ही दिलरुबा शरमा कर मिलों।
बादलों में कहीं चाँद छिपने लगा...
अपनी बाँहों के घेरे बढ़ा कर मिलों।
धीरे धीरे कुमुदिनी खिल उठी बाग में,
तुम ऐसे ही दिलरुबा शरमा कर मिलों।
बादलों में कहीं चाँद छिपने लगा...