मन का खेल
आखिर मन कब तक खुद को सुनेगा
कभी तो किसी को वो भी चुनेगा
करवाएगा उनसे मुलाकात
ना जानें तब कैसे कटेगी रात
तब रहेगा हर पल उसका इंतजार
ना आने देगा कोई खयाल
शायद तुम समझ बैठोगे उसे प्यार
नही रहेगा तब कोई मलाल
दिखाएगा सुनहरे ख्वाब वो
ना जानें दे जाएगा कितने जवाब वो
ना रहें गा तुम्हारी खुशी का हिसाब
हर पल लगेगा तुम्हें लाजवाब
जो चाहोगे मिलेगा बेहिसाब
जैसे...
कभी तो किसी को वो भी चुनेगा
करवाएगा उनसे मुलाकात
ना जानें तब कैसे कटेगी रात
तब रहेगा हर पल उसका इंतजार
ना आने देगा कोई खयाल
शायद तुम समझ बैठोगे उसे प्यार
नही रहेगा तब कोई मलाल
दिखाएगा सुनहरे ख्वाब वो
ना जानें दे जाएगा कितने जवाब वो
ना रहें गा तुम्हारी खुशी का हिसाब
हर पल लगेगा तुम्हें लाजवाब
जो चाहोगे मिलेगा बेहिसाब
जैसे...