...

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माँ
चुप रहता हूं तो दिल की बात समझ लेती है,
मां तो मां होती है, वो खामोशी भी पढ़ लेती है।
मेरी आंखों में आंसू आए तो रो वो लेती है,
मां तो मां होती है, औलाद के दर्द को भी वो सह लेती है।
इस अफ़ज़ल रिश्ते में भी कुछ तो बात होती है,
चोट बच्चे को लगती है तो दर्द माँ को होती है।
जब कोई अपना ना होता तो माँ साथ होती है।
माँ के साथ की भी कुछ अलग बात होती है।
अर्श पे रहता हुं तो ज़माना साथ होता है,
हाँ वो माँ है जो फर्श पे भी साथ रहती है।
अल्फ़ाज़ भी कम पर जाते हैं,
जब एहसास में माँ होती है,
सच में माँ तो माँ होती है।

© shayarique