चांद और तुम।
जब से तुमको देखा,
उस चांद को भूल गया।
क्या नाम होगा तुम्हारा,
यही सोचकर खुद का नाम भूल गया।
हवाओ और वादियों से,
चहकती पंछियों और लताओं...
उस चांद को भूल गया।
क्या नाम होगा तुम्हारा,
यही सोचकर खुद का नाम भूल गया।
हवाओ और वादियों से,
चहकती पंछियों और लताओं...