...

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ऐ दिल .... संभल जा जरा
कल एक झलक ज़िंदगी को देखा,
वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी,

फिर ढूँढा उसे इधर उधर
वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी,

एक अरसे के बाद आया मुझे...