...

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दीवाने
किसी ने छेड़ा ही नहीं,
इस साज़ पर,सौ तराने थे,
किसी ने रोका ही नहीं,
रुकने को तो,सौ बहाने थे,
किसी ने पूछा ही नहीं,
सुनाने को तो,सौ अफ़साने थे,
किसी ने मांगा ही नहीं,
लुटाने को तो,सौ ख़जाने थे,
किसी ने परखा ही नहीं,
वरना हम भी,गज़ब दीवाने थे।
- राजेश वर्मा

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