महिला दिवस से
मै कैसे मानाऊ ये महिला दिवस,
जबकि ज़र्रे ज़र्रे में फैली है हवस ही हवस,
अभी तो देश की बेटी को अकेले होने के डर...
जबकि ज़र्रे ज़र्रे में फैली है हवस ही हवस,
अभी तो देश की बेटी को अकेले होने के डर...