...

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महिला दिवस से
मै कैसे मानाऊ ये महिला दिवस,
जबकि ज़र्रे ज़र्रे में फैली है हवस ही हवस,
अभी तो देश की बेटी को अकेले होने के डर से बचाना है,
लेकिन मिले अधिकारों और आज़ादी का गलत फायदा भी नहीं उठाना है,
फिर कुछ इस तरह से मैं महिला दिवस मनाऊंगा,
जब समानता को ज़ुबान से व्यवहार में देख पाऊंगा।


© Ad.turk