...

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दोस्त नहीं पाए...
ये सच नहीं कि,
मैंने दोस्त नहीं बनाए,
ये भी झूठ नहीं,
कि मैंने दोस्त नहीं पाए,

कुछ थे जिन पर न्यौछावर था,
मेरा सब कुछ,
वही, कुछ थे जो मुझे भीड़ में,
पहचान नहीं पाए,
वादे थे बहुत सारे,
उन्हीं के थे, जो मेरे साथ,
चल नहीं पाए,
विस्मय बस इतना, कि,
जो हंसे थे मेरे साथ, क्यों मेरे साथ,
रो नहीं पाए,
जो गिरी मैं तो, क्यों मेरे लिए,
वो खड़े रह नहीं पाए,
अपने दर्द का हर लम्हा,
बांटा उन्होनें मेरे साथ,...