...

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पाने की चाहत
जरा पाने की चाहत में, बहुत कुछ छूट जाता हैं
न जाने सब्र का धागा कहा पर टूट जाता हैं
किसे अपना कहते हो , यह तो अपना साया भी
कही पर साथ रहता है कही पर छूट जाता है
© चन्द्रभान सेन