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परिंदे.......
ये शाखों पे बैठे हजारों परिंदे
सुनाते हैं हमको जो कोई कहानी,
ख़ुदा का ही शायद ये कलमा हैं पढ़ते
समझ पाते हम जो इन्हीं की ज़ुबानी
उदासी जो घेरे मन को कभी भी
ये अदनी सी जानें हैं खुशियां फैलाती,
इक कोना तुम्हारे घर का चुपके से लेकर
उसी में इक सुंदर आशियाना बनातीं
क्या जानें खुशी की ये किलकारी भरते
या हमसे हैं दया की उम्मीदें करते,
हमें क्या पड़ी पर हम तो हैं इंसान
क्यों परवाह करें हम ये चाहे हों मरते.....
© vatika
@Writco
#Hindi #hindipoetry #hindipoem
#urdupoetry #naturelove #hindipoems
सुनाते हैं हमको जो कोई कहानी,
ख़ुदा का ही शायद ये कलमा हैं पढ़ते
समझ पाते हम जो इन्हीं की ज़ुबानी
उदासी जो घेरे मन को कभी भी
ये अदनी सी जानें हैं खुशियां फैलाती,
इक कोना तुम्हारे घर का चुपके से लेकर
उसी में इक सुंदर आशियाना बनातीं
क्या जानें खुशी की ये किलकारी भरते
या हमसे हैं दया की उम्मीदें करते,
हमें क्या पड़ी पर हम तो हैं इंसान
क्यों परवाह करें हम ये चाहे हों मरते.....
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