...

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परिंदे.......
ये शाखों पे बैठे हजारों परिंदे
सुनाते हैं हमको जो कोई कहानी,
ख़ुदा का ही शायद ये कलमा हैं पढ़ते
समझ पाते हम जो इन्हीं की ज़ुबानी

उदासी जो घेरे मन को कभी भी
ये अदनी सी जानें हैं...