...

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शराब ,मेरी जान
चार दिन की जिंदगी है,
मुझको जी भर के पीने दो;
जो हुए जख्म इस दिल में ,
उसको आज सबरी से सीने दो;
आए कुछ अब्र, कुछ शराब आए
बाद एक जाम के जन्नत से ख्वाब आए ;
बढ़ रही तृष्णा एक बार जो होठों से लगा दी,
जैसे यारो शराब में प्यास मिला दी ;
नही बचा कुछ कहने को हर बात हो गई,
ले आओ अब बोतल शराब भरी रात हो गई;
कुछ अच्छी पी ली, कुछ खराब पी ली ,
जैसी मिली वैसी हमने शराब पी ली;
एक हाथ में जाम, एक में कलम उठी है,
हमने आज दास्तां ए जुबां लिखी है ;

© Andy 420...........