यूँ मिले तुम हमसे...
तुम हमसे यूँ मिले ऐसे
जैसे अचेत ही मिल जाती हैं
नदियाँ सागर से..
जैसे बारिश की अनगिनत...
जैसे अचेत ही मिल जाती हैं
नदियाँ सागर से..
जैसे बारिश की अनगिनत...