...

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शिव का अवर्णनीय प्रेम
कहाँ से शुरू करूँ पता नहीं चल रहा,

मन मेरा बीना रूके नाच रहा,

आजतक लोगों के प्रेम पाने को रोता रहा,

पर जबसे तुमने सामने देखा है सब छोड़कर तुझे ही सोच रहा,

इन्सान प्रेम में खाना, पीना, धन और दौलत सब कुछ चाहता है,

अब इन लोगों को क्या पता कि तेरे प्रेम में कहाँ कुछ चाहिए होता है,

अभी तो तेरे नाम से ही जुड़ा हुं,
तुझे इन आँखों से जी...