...

11 views

शिव का अवर्णनीय प्रेम
कहाँ से शुरू करूँ पता नहीं चल रहा,

मन मेरा बीना रूके नाच रहा,

आजतक लोगों के प्रेम पाने को रोता रहा,

पर जबसे तुमने सामने देखा है सब छोड़कर तुझे ही सोच रहा,

इन्सान प्रेम में खाना, पीना, धन और दौलत सब कुछ चाहता है,

अब इन लोगों को क्या पता कि तेरे प्रेम में कहाँ कुछ चाहिए होता है,

अभी तो तेरे नाम से ही जुड़ा हुं,
तुझे इन आँखों से जी भर के देखना भी है,

सुना है तेरे नयन से कोई भी तेरे प्रेम में पगला जाता है,
एकबार हमारी और देख तो सही हम तो पागलपन में ही रहना चाहते है,

यहाँ लोग शराब का नशा करते पर वो तो एक समय पे खत्म हो जाता है,
में तो तेरी कभी भी खत्म न होनेवाले मंद मंद सी मुस्कान का नशा करता हूँ,

शब्द नहीं है मेरे पास तेरे लिए,
पर हदय तेरे बारे में ही बोल रहा,

हम थोडे़ से शर्मिले भी है,
पर तु समज जाना और गले से लगा लेना,

हे मेरे भोले तेरे इस प्रेम का वर्णन तो कभी नहीं हो सकता,
इसीलिए हम आजसे आपके हो रहे और आप हमारे हुए.

© the mystery man