...

5 views

पंखुड़ी इक गुलाब की हो तुम
पंखुड़ी इक गुलाब की हो तुम
इक नशा जाँ शराब की हो तुम

बिन तुम्हारे नहीं जलवा कोई
रूह सच में शबाब की हो तुम

कितनी मीठी तुम्हारी बोली है
बोल जैसे रबाब की हो तुम

अब तलक जो समझ न आई है
सीख कोई किताब की हो तुम

आओ खुल के मज़ा ले जीवन का
क्यूँ भला जाँ हिज़ाब की हो तुम

© All Rights Reserved