...

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कृष्ण सा
जब साज़िश कोई करने लगे,
तब कोई कृष्ण सा मिल जाये।
जब लाक्षागृह में कोई घात लगाये,
तब कोई कृष्ण सा मिल जाये।
जब किंकर्तव्यविमूढ़ हो जायें,
तब कोई कृष्ण सा मिल जाये।
जब भाव विह्वल हो जायें,
तब कोई कृष्ण सा मिल जाये।
जब हदय भयाकुल हो जाये,
तब कोई कृष्ण सा मिल जाये।
जब मन मीरा हो जाये,
तब कोई कृष्ण सा मिल जाये।

आप सब की सहायता को कभी न कभी
कोई कृष्ण बनकर ज़रूर आया होगा।
उन सब को नमन जो किसी के जीवन
में कृष्ण बनकर सहायता हेतु पहुँचे हैं।
© सुनीता पान्डे 💕