वेद हूँ मै उपनिषद हूँ
#अनपढ़पन्ने
है खचाखच युवाओं से भरा हुआ पुस्तकालय
और खानों मे सजाए पुस्तकों के ढेर हैं।
आ रहे बच्चे उठाकर पढ़ रहे है पुस्तकें,
कुछ है नव अंकुर लिए बच्चे कुछ उनमें पेड़ है।
पढ़ रहे सारे ही पुस्तक,ज्ञान के विज्ञान के
पढ़ी जातीं पुस्तकें कवि "निराला"," मलखान "के।
किन्तु मै रक्खा अकेला एक कोने में पृथक
मुझको पढ़नेवाला मुझको दिख रहा ना दूर तक।
देखता हूँ राह कि मेरी तरफ...
है खचाखच युवाओं से भरा हुआ पुस्तकालय
और खानों मे सजाए पुस्तकों के ढेर हैं।
आ रहे बच्चे उठाकर पढ़ रहे है पुस्तकें,
कुछ है नव अंकुर लिए बच्चे कुछ उनमें पेड़ है।
पढ़ रहे सारे ही पुस्तक,ज्ञान के विज्ञान के
पढ़ी जातीं पुस्तकें कवि "निराला"," मलखान "के।
किन्तु मै रक्खा अकेला एक कोने में पृथक
मुझको पढ़नेवाला मुझको दिख रहा ना दूर तक।
देखता हूँ राह कि मेरी तरफ...