...

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मेरे घर की औरतें
मेरे घर की औरतें
हाथों से साँस लेती हैं
अपनी दिनचर्या में,
वो सदा मसरूफ रहती हैं

अपनी ख़ुद की उन्हें,
नहीं रहती कोई परवाह
दूसरों के लिए,
वो हमेशा जीती हैं

दिन रात का,
उनको नहीं रहता कोई भान
बिना रुके,
मुस्कुराकर हर काम वो करती हैं

अपनी इच्छा को भी,
नहीं देतीं वो महत्व
सभी की खुशी में ही,
वो खुश हो लेती हैं

ख़ुद के लिए,
कभी कुछ नहीं माँगती प्रभु से
बच्चों की लम्बी उम्र की वो दुआ,
भगवान से हरदम करती हैं

नहीं देख सकतीं वो,
घर को टूटते बिखरते
परिवार की एकता के लिए,
वो कुछ भी कर सकती हैं
© Poonam Suyal
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