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फ़ौजी
हे पसीने का भी भाव क्या
हम खुन से भी तिरंगा लहराते हैं
हैं फ़ौलाद से बने बसर हम,
भारत मा के बीर कहलाते हैं
अमन और शाँति का भाषा
बखूबी से हम भी समझते हैं
सीमा पर तेनात फ़ौजी है, साहाब हम
बंधूक की गर्जंन से, बलिदान का गीत गातें हैं
शरहद से लेके सरेआम तक़
देश को हम पहचान ते हैं
है कोई भी अपादा मां तूझे
हम फरिश्ता बन के आते हैं
कोई कहता है के कमजोर है हम
अपने भी तो बुरे-भले कहतें हैं
लाख सहे है, और भी सहलेंगे
बलबान भी है, पराक्रमी भी
बंधूक की गर्जन से, बलिदान की गीत गातें हैं
© wingedwriter
हम खुन से भी तिरंगा लहराते हैं
हैं फ़ौलाद से बने बसर हम,
भारत मा के बीर कहलाते हैं
अमन और शाँति का भाषा
बखूबी से हम भी समझते हैं
सीमा पर तेनात फ़ौजी है, साहाब हम
बंधूक की गर्जंन से, बलिदान का गीत गातें हैं
शरहद से लेके सरेआम तक़
देश को हम पहचान ते हैं
है कोई भी अपादा मां तूझे
हम फरिश्ता बन के आते हैं
कोई कहता है के कमजोर है हम
अपने भी तो बुरे-भले कहतें हैं
लाख सहे है, और भी सहलेंगे
बलबान भी है, पराक्रमी भी
बंधूक की गर्जन से, बलिदान की गीत गातें हैं
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