स्त्री हूँ मैं स्त्री हूँ
स्त्री हूँ मैं स्त्री हूँ, मेरा यूँ अपमान न करो,
मेरा अपना भी कुछ वज़ूद है, अपना भी आत्मसम्मान है।
कब तक छली जाती रहूँगी मैं "प्रेम,त्याग, ममता,समर्पण,परिवार,
धर्म, संस्कृति,समाज,, आदि के नाम पर।
कब तक लड़ना...
मेरा अपना भी कुछ वज़ूद है, अपना भी आत्मसम्मान है।
कब तक छली जाती रहूँगी मैं "प्रेम,त्याग, ममता,समर्पण,परिवार,
धर्म, संस्कृति,समाज,, आदि के नाम पर।
कब तक लड़ना...