सफ़लता का द्वार
#रहने-दिया
जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,
सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद न मिलने दिया,
जो बिख़र गया उसको समेट लिया;
बंजर भूमि को वर्षा ने यूं शीतल किया,
मृत पौधों ने फ़िर से तब जन्म लिया।।
रुका कार्य अचानक ही संपन्न हो...
जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,
सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद न मिलने दिया,
जो बिख़र गया उसको समेट लिया;
बंजर भूमि को वर्षा ने यूं शीतल किया,
मृत पौधों ने फ़िर से तब जन्म लिया।।
रुका कार्य अचानक ही संपन्न हो...