43 views
" बस यादों में रह जाना है "
मिलते हैं सफर में अनजाने,
क्यों उनसे दिल ये लगाना है,
कुछ रिश्ते बेनाम से निभाते,
क्यों उनमें उलझ हमें जाना है!
कल वो हैं कहाँ और हम हैं कहाँ,
कौन जाने क्या होगा यहाँ,
चलता तो रहेगा यूँ ही जहाँ,
पर बिछड़ एक दिन हमको जाना है!
बस यादों में रह जाना है,
सब खो के कुछ नहीं पाना है.....
बातें वो खट्टी-मीठी सी,
जो लगती थीं कुछ-कुछ अपनों सी,
खो कर खुद को उन बातों में,
क्यों उनमें फस हमें जाना है!
क्यों बढ़ते कदम उन राहों पर,
जिनकी मंजिल है कांटों पर,
रखते आंखों में वो सपने,
बिखर जिनको एक दिन जाना है!
बस यादों में रह जाना है,
सब खो के कुछ नहीं पाना है.....
मिलने की ख्वाहिश पहले सदियों सी,
फिर पल-पल डसती वो विरहन सी,
जो उड़े नैनों से नींदों सी,
क्यों उम्मीदों में उन खो जाना है!
जब तन्हा ही सफर कटता आया,
फिर क्यों बन बैठा तू हमसाया,
इन राहों पर चलकर भी तो,
एक दिन वापस ही आना है!
बस यादों में रह जाना है,
सब खो के कुछ नहीं पाना है.....
© Shalini Mathur
क्यों उनसे दिल ये लगाना है,
कुछ रिश्ते बेनाम से निभाते,
क्यों उनमें उलझ हमें जाना है!
कल वो हैं कहाँ और हम हैं कहाँ,
कौन जाने क्या होगा यहाँ,
चलता तो रहेगा यूँ ही जहाँ,
पर बिछड़ एक दिन हमको जाना है!
बस यादों में रह जाना है,
सब खो के कुछ नहीं पाना है.....
बातें वो खट्टी-मीठी सी,
जो लगती थीं कुछ-कुछ अपनों सी,
खो कर खुद को उन बातों में,
क्यों उनमें फस हमें जाना है!
क्यों बढ़ते कदम उन राहों पर,
जिनकी मंजिल है कांटों पर,
रखते आंखों में वो सपने,
बिखर जिनको एक दिन जाना है!
बस यादों में रह जाना है,
सब खो के कुछ नहीं पाना है.....
मिलने की ख्वाहिश पहले सदियों सी,
फिर पल-पल डसती वो विरहन सी,
जो उड़े नैनों से नींदों सी,
क्यों उम्मीदों में उन खो जाना है!
जब तन्हा ही सफर कटता आया,
फिर क्यों बन बैठा तू हमसाया,
इन राहों पर चलकर भी तो,
एक दिन वापस ही आना है!
बस यादों में रह जाना है,
सब खो के कुछ नहीं पाना है.....
© Shalini Mathur
Related Stories
102 Likes
70
Comments
102 Likes
70
Comments