सावन की पूरनमासी
भाई बहन का नाता, जग में अनमोल है,
बँधी बंधन हस्तकलाई से, बंधन बेजोड़ है।
कहे बहन अपने भाई से,
राखी का त्योहार ये।
सुरक्षा का खजाना हैं,
संस्कृति का आधार ये।
नहीं बिके प्रेम जगत में, वस्तु बिके तोल है,
बँधी बंधन हस्तकलाई से, बंधन बेजोड़ है।
सावन की पूरनमासी,
बैठी बहना भूखी प्यासी।
कब भैया आएंगे मोरे?
कब मै बाधूंगी राखी?
सपने हजार नैनो में, लव पे मधुर बोल...
बँधी बंधन हस्तकलाई से, बंधन बेजोड़ है।
कहे बहन अपने भाई से,
राखी का त्योहार ये।
सुरक्षा का खजाना हैं,
संस्कृति का आधार ये।
नहीं बिके प्रेम जगत में, वस्तु बिके तोल है,
बँधी बंधन हस्तकलाई से, बंधन बेजोड़ है।
सावन की पूरनमासी,
बैठी बहना भूखी प्यासी।
कब भैया आएंगे मोरे?
कब मै बाधूंगी राखी?
सपने हजार नैनो में, लव पे मधुर बोल...