चेहरा
चेहरे के ऊपर लगाकर एक और चेहरा....
क्यों ? अपनी असलियत लोगों से छिपाते हो
लिए फिरते हो दो-दो पहचान साथ में
भला कैसे ? यह जिंदगी खुलकर जी पाते हो,,!!
बातों से तो लगते हो बड़े सीधे-साधे....
लबों से भी काफी मुस्कुराते हो
रखते हो फिर भी मन के अंदर कड़वाहट
इतना जहर कहाँ से लाते हो,,,?
हर पल...
क्यों ? अपनी असलियत लोगों से छिपाते हो
लिए फिरते हो दो-दो पहचान साथ में
भला कैसे ? यह जिंदगी खुलकर जी पाते हो,,!!
बातों से तो लगते हो बड़े सीधे-साधे....
लबों से भी काफी मुस्कुराते हो
रखते हो फिर भी मन के अंदर कड़वाहट
इतना जहर कहाँ से लाते हो,,,?
हर पल...