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तुम डर्मी कूल हो
कैसे तुम्हें हम बताएं तुम मेरे क्या हो
गर्मियों में तुम राहत सी डर्मी कूल हो।
खुशबू बन के राह हमें दिखाते हो
कोहरे भरे सर्दियों के तुम गेंदा फूल हो।
सारे किताबी ज्ञान धरे के धरे रह जाते
उन सबके अनुभव के एक मात्र मूल हो।
अपनों से जुदा पराए बस्ती में जीते हो
तुम सब रिश्तों के जोड़ने वाले पुल हो।
तुमसे ही कि जाती है अर्पण और मन्नत
दिल ए धड़कन के भावों का तुम तूल हो।
© Sunita barnwal
गर्मियों में तुम राहत सी डर्मी कूल हो।
खुशबू बन के राह हमें दिखाते हो
कोहरे भरे सर्दियों के तुम गेंदा फूल हो।
सारे किताबी ज्ञान धरे के धरे रह जाते
उन सबके अनुभव के एक मात्र मूल हो।
अपनों से जुदा पराए बस्ती में जीते हो
तुम सब रिश्तों के जोड़ने वाले पुल हो।
तुमसे ही कि जाती है अर्पण और मन्नत
दिल ए धड़कन के भावों का तुम तूल हो।
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