...

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तुम
मेरे हृदय की एक कल्पना के इर्द गिर्द नजर आती हो तुम ..
मन के विचार व्यवहार से हृदये की सादगी से सजी संवरी मादक ,कमनीय ,सुशिल, सरल ,सहज ,व्यवहारिक गंभीर कम शब्दों में जताने बताने वाली नजर आती हो तुम ..

ज्ञान के कागजी पन्नो दस्तावेजों से बड़ के मानवीय संबंधो विचार ,व्यवहार ,आत्मीयता ,भावना ,संस्कारो सिधान्तो आधुनिकता से भी ऊपर जमीनी गुणों से जुडी औत प्रोत भीगी नजर आती हो मुझे तुम ..

एकांत में सुकून निस्छल प्रेम टटोलती खोजती कम बोलती अपने में गुणगुनाती हंसती मासूम व् प्यासी आग सी धुन में बहती टहलती अधूरी आस उमंग के लिए मचलती शांत झुकी उठी बड़ी बड़ी हिरणी सी नयनो में काजल लगाए टहलती टकराती हो मुझसे कभी कहीं तुम ..

इस दौरति दुनिया में अमीरी...