सफर उसका भी था
सफर उसका भी था
उसी इलाके में
जहां से वक्त ने चलना शुरू किया ।
वो बैठा था अनजान
थोड़ा हैरान ,थोड़ा परेशान
बेचैन परखा था उसने जिंदगी को
कि जिंदगी को जीना शायद भूल स गया।
साथ दिया था मैंने,
हाँ हर खुशी बांटी थी हम ने
जैसे धूप की छाया हो वो
जैसे अंधेरे का साया हो वो
जैसे राधा...
उसी इलाके में
जहां से वक्त ने चलना शुरू किया ।
वो बैठा था अनजान
थोड़ा हैरान ,थोड़ा परेशान
बेचैन परखा था उसने जिंदगी को
कि जिंदगी को जीना शायद भूल स गया।
साथ दिया था मैंने,
हाँ हर खुशी बांटी थी हम ने
जैसे धूप की छाया हो वो
जैसे अंधेरे का साया हो वो
जैसे राधा...