आरज़ू
कुछ वक़्त गर तन्हा मिले, संग तेरे कोई लम्हा मिले
अरमान तुझे बताऊँ मैं, गर तुझसे मिल पाऊँ मैं।
इक ऐसी भी सुबहा मिले, जब धूप तेरे रुख से खिले
उनींदी सी हों...
अरमान तुझे बताऊँ मैं, गर तुझसे मिल पाऊँ मैं।
इक ऐसी भी सुबहा मिले, जब धूप तेरे रुख से खिले
उनींदी सी हों...