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दिनकर
दिनकर फिर से उग आया है
नव जीवन का प्रकाश लिए
एक नई चेतन नया सवेरा
रचना की क्षमता साथ लिए
यह भोर बड़ा सुखदाई है
चाहू ओर ये लाली छाई है
दिन होता है उद्यम करने को
संदेश ये किरने लाई है
यह आदि देव हैं इस जग के
इन से सब को ऊर्जा मिलता
नदियाँ हो पवन हो या स्वयं जीवन
सब इनकी ऊर्जा से पलता
यह छठ का पर्व है मात्र समर्पण
उस जीवन ऊर्जा के प्रति ये तरपन
जीवन के हर उतार चढ़ाव को अपनाना
डूबते उगते सूर्य को अर्घ का अर्पण
© eternal voice नाद ब्रह्म
नव जीवन का प्रकाश लिए
एक नई चेतन नया सवेरा
रचना की क्षमता साथ लिए
यह भोर बड़ा सुखदाई है
चाहू ओर ये लाली छाई है
दिन होता है उद्यम करने को
संदेश ये किरने लाई है
यह आदि देव हैं इस जग के
इन से सब को ऊर्जा मिलता
नदियाँ हो पवन हो या स्वयं जीवन
सब इनकी ऊर्जा से पलता
यह छठ का पर्व है मात्र समर्पण
उस जीवन ऊर्जा के प्रति ये तरपन
जीवन के हर उतार चढ़ाव को अपनाना
डूबते उगते सूर्य को अर्घ का अर्पण
© eternal voice नाद ब्रह्म
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